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Monday 8 January 2024

Bilkis Bano Case: गर्भवती की पिटाई, सामूहिक दुष्कर्म, मासूम को पटक कर मार डाला; बिलकिस के साथ उस दिन क्या हुआ?

Bilkis Bano Case: गर्भवती की पिटाई, सामूहिक दुष्कर्म, मासूम को पटक कर मार डाला; बिलकिस के साथ उस दिन क्या हुआ?



Bilkis Bano Gujarat: बिलकिस बानो और उनका परिवार 2002 के गुजरात में हुए दंगों के पीड़ितों में से एक है। साम्पद्रायिक हिंसा के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनके परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी।

21 साल से भी ज्यादा पुराना बिलकिस बानो मामला एक बार फिर चर्चा में है। सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले के 11 दोषियों की रिहाई का गुजरात सरकार का फैसला रद्द कर दिया। अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के भीतर पुन: आत्मसमर्पण करने का भी आदेश दिया। ये सभी दोषी गुजरात के गोधरा में साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान बिलकिस बानो नाम की महिला से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में सजा काट रहे थे। इन्हें 15 अगस्त 2023 को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था।
सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि जहां अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई, वही राज्य दोषियों की सजा माफी का फैसला कर सकता है। अदालत ने कहा दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी। गौरतलब है कि बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी। उच्चतम न्यायालय ये भी कहा कि दोषियों को रिहा करने का गुजरात सरकार का फैसला शक्ति का दुरुपयोग था।

कौन हैं बिलकिस बानो?
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई थी। इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। आगजनी की इस घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों की चपेट में आए कई परिवारों में एक बिलकिस बानो का भी परिवार था। गोधरा कांड के चार दिन बार तीन मार्च 2002 को बिलकिस के परिवार को बेहद क्रूरता का सामना करना पड़ा। उस वक्त 21 साल की बिलकिस के परिवार में बिलकिस और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ 15 अन्य सदस्य भी थे। दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारा दिया था। 

बिलकिस के साथ क्या हुआ था? 
27 फरवरी की घटना के बाद प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे फैल गए। दाहोद जिले के राधिकपुर गांव में बिलकिस बानो का परिवार रहता था। दंगा बढ़ते देख परिवार ने गांव छोड़कर भागने का फैसला लिया। उस वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। वह अपने साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ गांव से भाग गईं।   
3 मार्च 2002 को परिवार चप्परवाड़ गांव पहुंचा और पन्निवेला गांव की ओर जाने वाले कच्चे रास्ते से लगे एक खेत में छुप गया। अदालत में दायर आरोपपत्र के मुताबिक, सजा पाने वाले 11 दोषियों समेत करीब 20-30 लोगों ने हसिया, तलवार और लाठियों से लैस होकर बिलकिस और उनके परिवार पर हमला कर दिया। हमले में बिलकिस की साढ़े तीन साल की बेटी समेत सात लोग मारे गए।

घटना के बाद बेहोश हो गई थीं बिलकिस, उधार मांगे थे कपड़े 
परिवार के साथ भी दरिंदगी और बर्बरता 
साढ़े तीन साल की मासूम को पत्थर पर पटक-पटकर मार डाला

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